अम्बे आब उचित नहीं...
अम्बे आब उचित नहीं देरी !!ध्रुब!!
अम्बे आब जमदुत पहुचि गेल, पाएर परल अछि बेरी !
मित्र बंधु सब टक – टक तकथी, नहीं सहाय एही बेरी !!१!!
योग, यग्य, जप कय नहीं सकलो, परलहू कलक फेरी !
केवल द्वन्द, फंद में फंसी कय, पाप बटोरल ढेरी !!२!!
नाम उचारब दुस्तर भय गेल, कंठ लेल कफ घेरी !
एक उपाय सूझे अछि अम्बे, अहाँ नयन भरी हेरी !!३!!
सुद्ध भजन तुए हे जगदम्बे, देव बजाबथी भेरी !
‘लक्ष्मीपति’ करुनामयी अम्बे, विसरहू चुक धनेरी !!४!!
अम्बे आब जमदुत पहुचि गेल, पाएर परल अछि बेरी !
मित्र बंधु सब टक – टक तकथी, नहीं सहाय एही बेरी !!१!!
योग, यग्य, जप कय नहीं सकलो, परलहू कलक फेरी !
केवल द्वन्द, फंद में फंसी कय, पाप बटोरल ढेरी !!२!!
नाम उचारब दुस्तर भय गेल, कंठ लेल कफ घेरी !
एक उपाय सूझे अछि अम्बे, अहाँ नयन भरी हेरी !!३!!
सुद्ध भजन तुए हे जगदम्बे, देव बजाबथी भेरी !
‘लक्ष्मीपति’ करुनामयी अम्बे, विसरहू चुक धनेरी !!४!!
2 एक टिप्पणी दिअ।:
Bahut nik
मन क प्रसन्न करै बला भजन।
एक टिप्पणी भेजें