कन्हैया क बालपन..

कहन लगे मोहन मैया मैया !!ध्रुब!!

हुलसी हुलसी यशुदा जी पुछति, बिहुँसी बिहुँसी मूसुकैया!!अन्तरा!!

नन्द महर को बबा बबा अरु, बलदाऊ को भैया!
कबहूँ कबहूँ दादा दादा कहि टेरत, कबहूँ कबहूँ तुतरैया!!१!!

बछरण देखि लटुकी गहि धावत, हिया हिया कही हिया!
धरि धरि कर महरिन सिखलावत, गोपियन कोऊ छिया!!२!!

रहि रहि करि खोलत मुख पंकज, दतुली दुई दरसैंया!
कमल नयन सिर मलित लटुरिया, गोपियन लखि ललचैया!!३!!

निरखि निरखि शिशुपन की शोभा, सुर नागरि पछतैया!
तोतरी बचन अकनि निशिवासर, लक्ष्मीपति मुख पैया!!४ !!

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