मृत गाय का पुनर जन्म - (चमत्कार)


बनगाँव के श्री कारी खां ने स्वामीजी को दूध पीने के लिए एक गाय दी थी ! नित्य प्रति इस गाय का दूध बाबाजी को भेज दिया करते थे ! एक दिन दूध नहीं पहुंचा ! बाबाजी ने निशचित समय का अतिक्रमण देख प्राप्त वस्तुओ से अपनी वृभुक्षा मिटा ली ! गाय को सर्प ने काट लिया था ! उपचार किया गया किन्तु विफल रहा ! अन्ततोगत्वा गाय मर गई ! श्री कारी खां ने आकर बाबाजी से सारी वृतांत कह सुनाया ! बाबाजी ने चोंक कर कहा —”क्या गाय सर्प के काटने से मर गई ?” श्री कारी खां ने कहा — हाँ ! बाबाजी ने उदास होकर पूछा —”क्या चमार गाय को उठा ले गया !” श्री कारी खां ने कहा “निशचित कहा नहीं जा सकता !” बाबाजी बोले —” शीघ्रता से जाओ और गाय को ले जाने से रोको ! मैं अतिशीघ्र आता हूँ !” बाबाजी पाँव में खराऊ और हाथ में लाठी लेकर पहुच गए ! कुछ काल खड़े देखते रहे और बाद में अपनी छड़ी से उठाने का उपक्रम किये ! छड़ी के स्पर्श ही से गाय उठ गई ! उपस्थित लोग बाबाजी की अद्भुद शक्ति देख कर चकित रह गए ! बाबाजी ने कारी खां से कहा —”कुछ देर तक खाने नहीं देना ! पहले दूध को स्तन से निचोर कर फेक देना, कोई पीने न पावे ! सब ठीक हो जायेगा !” यह कहके बाबाजी कुटी पर चले गए ! इस तरह से मृत गाय का पुनर जन्म हुआ !!

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