रे मना मुरख जाग - (प्रातकालीय)

रे मना ! मुरख जाग सवेरे क्यों कायर है सोता है !!ध्रुव!!
राम भजना करि पाइ मनुज तना, क्यों आलस में खोता है !!अंतरा!!

मानुष के तना दुर्लभ जग में, बड़ए भाग से पाता है !
ताको करत खराब नदाना, याही ते दुख पाता है !!१!!

जो भूले इंदिय सुख कारण, सो पीछे पछताता है
चूकेंगे सो भूखे रहि है, आगे यम के नाता है !!२!!

आलस करता ताते पामर, यहाँ वहाँ रोता है !
"लक्ष्मीपति" परचारि कहत है, जगे आनंद है !!३!!

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