मल्लो की परीक्षा - (चमत्कार)

जिला - सहरसा के बनगाँव गाँव में बाबाजी के रहने का कारण केवल मल्ल (कुश्ती) ही नहीं था ! बल्कि वहाँ के सीधे सादे लोगों का इनके प्रति असीम श्रद्धा एवं आदर था ! स्वामी जी के प्राथमिक व्यायाम कबड्डी, खोरिचिका, दंडबैठक इत्यादी अब अब्र आसन, प्राणायाम एवं योगाभ्यास में बदल चूका था ! एकबार जब अखाड़े में अच्छे मल्ल (पहलवान) कुश्ती के लिए जुटे थे, तो स्वामीजी भी वहाँ पहुचें ! उन्होने कहा _”आज मैं तुमलोगों की परीक्षा लूँगा !” सबो ने हर्षित हो स्वीकार किया ! स्वामी जी समाधिस्थ हो बैठ गए और बोले_ “मुझे पृथ्वी पर से जो उठाएगा वह इनाम में मिठाई पायेगा ! ” उन्हें उठाने का होड़ लगी ! मल्ल बंधुओ का ख्याल था की जो पहले उठाएगा वही मिठाई का अधिकारी होगा ! यह समझ स्वामीजी ने कहा _”आगे पीछे जो उठाएगा सबको मिठाई मिलेगी !” एक – एक कर सबों ने प्रयत्न किया ! पर स्वामीजी टस से मस नहीं हुवे ! सभी बहुत लज्जित हुवा ! आज्ञा हुई की “अब सभी मिलकर उठाओ और मिठाई सब मिलके खाओ !” परन्तु सबों के संयुक्त प्रयास होने पर भी बाबा हिमालय की तरह स्थिर रहे ! स्वामी जी ने फिर एक अति दुर्बल व्यक्ति को बुलाया और उठाने कहा ! उसके हाथ लगाते ही बाबा पृथ्वी से उपर उठ गए ! सबो ने हल्ला किया _” बाबा ने जादू किया,बाबा ने जादू किया !” पर उन्हें क्या मालूम की बाबा गरिमा और लाघिमा योग का प्रयोग किये थे ! बाबा के आज्ञानुसार सबों ने मिलकर मिठाई खा ली!

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